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Monday 14 July 2014

गिरते -गिरते दामन उनका थाम ले .. ( Girte girte daman unka thaam le )



Heart is something more than part of your body :



"और जाम टूटेंगे इस शराबखाने में

मौसमों के आने में, मौसमों के जाने में। 



 हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं

उम्रें बीत जाती है, दिल को दिल बनाने में।"



(- बशीर 'बद्र")

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14.06.2014

There is nothing called immaculate :

"ज़िंदगी हम तेरे दागों से रहे शर्मिंदा
और तू है कि सदा आईना-खाने माँगें।"

(-अहमद फ़राज़)

शब्दार्थ : (1) आईना-खाने = आईनों का घर

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15.05.2014

Doers never look at difficulties :

"करें क्या कि दिल भी तो मजबूर है 
 
ज़मीं सख्त है, आसमाँ दूर है।


तमन्ना-ए-दिल के लिए जान दी 


 
सलीका हमारा तो मशहूर है। "



(-'मीर')


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 10.05.2014

If you want to maintain your love, keep weeping day and night :

संगीत प्रेम का  छिड़ा था आंसुओं के तार पर
मुस्कुराये हम तो उनको बदगुमानी हो गयी।"
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Original sher is as follows:
"साज़े-उल्फ़त छिड़ रहा था आंसुओं के तार पर
मुस्कुराये हम तो उनको बदगुमानी हो गयी।"
(-शकील बदायूनी)

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27.04.2014

"ज़िंदगी नासाज़ है या ठीक है 
 
आपकी मस्त अंखड़ियों की भीक है। 
 
कौन कौसर तक मुफासत तय करे 
 
मयकदा फ़िर्दौस से नजदीक है।"

(-'अदम')

शब्दार्थ: (1) नासाज़ = बीमार, (2) कौसर = स्वर्ग में शराब की नदी, (3) मुफ़सात = 
फासला, (4) फ़िर्दौस = स्वर्ग
 
Don’t sacrifice present for the future:
"ज़िंदगी बीमार है या ठीक है 
आपकी मस्त अंखड़ियों की भीख है।
कौन स्वर्ग तक फासला तय करे 
मधुशाला स्वर्ग से नजदीक है।"
(-'अदम' के शेर का सरलीकृत रूप)

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20.04.2014

Leaders are like infatuating nymphs :

"तमाम शहर के मक़तल उसी के हाथों में 
 
तमाम शहर उसी को दुआएं देता है।"

(-अहमद फ़राज़)

शब्दार्थ : (१) मक़तल = वध-स्थल, हत्या करने की जगह

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18.04.2014


The moment they get chair, they will laugh at your 

foolishness that you have chosen them:


"जिसके चेहरे पे मेरी आँखें हैं 


वो मुझे ताना कम-निगाही दे।  



तेरी दोस्ती की शालीनता है गज़ब 


जानेवालों को रास्ता ही दे। 



Original sher is as follows:



जिसके चेहरे पे मेरी आँखें हैं 


वो मुझे ताने-कम-निगाही दे।  


यह भी एक शेवा-ए-रफ़ाक़त है 


जानेवालों को रास्ता ही दे।"

(-अहमद फ़राज़)


शब्दार्थ: (1) ताने-कम-निगाही = कम दिखने का ताना, (2)


शेवा-ए-रफ़ाक़त = दोस्ती का ढंग 

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18.04.2014 


Give your 100% to your pursuit or just forget it :


''Thodi babut muhabbat se kaam nahi chalta ai dost

 
Ye wo mamla hai jisme ya sabkuch ya kuch bhi nahi.''

 
(-Firaq)


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Experimentalism persists till you find someone worthy to rely

 upon :

"चलता हूँ थोड़ी दूर हर एक तेज रौ के साथ 

 
पहचानता नहीं हूँ अभी राहबर को मैं।"



(-मिर्ज़ा ग़ालिब)

 
शब्दार्थ: (1) तेज रौ = तेज चलनेवाला चेहरा, (2) राहबर = पथ-प्रदर्शक



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 You can do a lot even while you are falling :
 

"गिरते -गिरते दामन उनका थाम ले 

 
गिरनेवाले लग्जिशों से काम ले।"

(-मैकश हैदराबादी)

 
शब्दार्थ: (1) लग्जिश = फिसलन

Monday 7 July 2014

मुझे ऐ मांझी तूफान में ले चल ( Mujhe ai maanjhi tufan me le chal )


No risk, no life :
"मैं जिन्दा हूँ, मुझे ऐ मांझी तूफान में ले चल 
क्रियाशीलता की मौत है किनारे के परदे में।"
(- simplified form of sher by शकील बदायूनी)

The original sher is as follows:
"मैं जिन्दा हूँ, मुझे ऐ नाखुदा तूफान में ले चल 
मेरे ज़ौक़े-अमल की मौत है साहिल के परदे में।"
(- शकील बदायूनी)
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