Fir chidi raat baat phoolon ki..
फिर छिड़ी रात, बात फूलों की
फिर छिड़ी रात, बात फूलों की
शाम फूलों की, रात फूलों की।
आपकी बात, बात फूलों की।
फूल खिलते रहेंगे दुनिया में
रोज़ निकलेगी बात फूलों की।
मिल रही है हयात फूलों की।
जैसे सहरा में रात फूलों की।
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( 'मखदूम' मोईनुद्दीन)शब्दार्थ : (1) हयात = जिंदगी, (2) सहरा = जंगल
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on 15.10.2013
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