"उसने सुबहे-शबे-विसाल मुझे
जाते-जाते भी आ के देख लिया।
"दाग' ने खूब आशिकी का मज़ा
जल के देखा, जला के देख लिया।"
(-'दाग')
शब्दार्थ : (1) सुबहे-शबे-विसाल = मिलन की रात के बाद का सवेरा
Colours of conjugal affection.
https://www.facebook.com/hemant.das.585
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"तुम नहीं फ़ित्नासाज़ सच साहिब
शहर पुरशोर इस गुलाम से है।
कोई तुझ-सा भी काश तुझ को मिले
मुद्द-आ हमको इन्तकाम से है।"
(-'मीर')
शब्दार्थ; (1) फ़ित्नासाज़ = उपद्रवी, (2) पुरशोर = शोर-शराबे से भरा , (3) इन्तकाम = बदला
'Meer' sarcastically admits before his beloved that well, she is not the root of the prevailing unrest in the city and all of the troubles is because of him only. He further says that seeing her with a partner having a mindset like herself would be appropriate retaliation for him.
(facebook ID: hemant.das.585 date 13.09.2013)
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"वो हवा दे रहे हैं दामन की
हाय किस वक़्त नींद आई है।"
(-शकील बदायूनी)
शब्दार्थ: (1) दामन = आँचल
(-शकील बदायूनी)
शब्दार्थ: (1) नाज़ां = गर्वीला, (2) फतह = जीत, (3) शिकस्त =हार
In today's destructive environment, thinking of constructive work is like :
" एक ज़ंग आलूदा
तोप के दहाने में
नन्ही-मुन्नी
चिड़िया ने
घोंसला बनाया है।"
(-मुहम्मद अलवी)
शब्दार्थ: (1) जंग आलूदा = जंग लगी, (2) दहाने में = मुँह में
facebook post (hemant.das.585) dt. 05.09.2013
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"गुलशन परस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़
कांटो से ही निबाह किये जा रहा हूँ मैं। "
(-एक प्रसिद्द शायर)
शब्दार्थ: (1) गुलशन = बागीचा (2) गुल = फूल', (3) अज़ीज़ =प्रिय
The poet says though he is lover of garden, no flower is up to the mark in his eyes. So, he has to sustain on the friendship of thornes only.
facebook posting date 11.09.2013
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जाते-जाते भी आ के देख लिया।
"दाग' ने खूब आशिकी का मज़ा
जल के देखा, जला के देख लिया।"
(-'दाग')
शब्दार्थ : (1) सुबहे-शबे-विसाल = मिलन की रात के बाद का सवेरा
Colours of conjugal affection.
https://www.facebook.com/hemant.das.585
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"तुम नहीं फ़ित्नासाज़ सच साहिब
शहर पुरशोर इस गुलाम से है।
कोई तुझ-सा भी काश तुझ को मिले
मुद्द-आ हमको इन्तकाम से है।"
(-'मीर')
शब्दार्थ; (1) फ़ित्नासाज़ = उपद्रवी, (2) पुरशोर = शोर-शराबे से भरा , (3) इन्तकाम = बदला
'Meer' sarcastically admits before his beloved that well, she is not the root of the prevailing unrest in the city and all of the troubles is because of him only. He further says that seeing her with a partner having a mindset like herself would be appropriate retaliation for him.
(facebook ID: hemant.das.585 date 13.09.2013)
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"वो हवा दे रहे हैं दामन की
हाय किस वक़्त नींद आई है।"
(-शकील बदायूनी)
शब्दार्थ: (1) दामन = आँचल
The poet laments that he could not relish the pleasure
of courteousness of his beloved just because he fell asleep as a result of
that. (Inherent connotation is that your ecstasy would not last long howsoever favourable
the conditions may be.)
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"दिल की बर्बादियों पे नाज़ां हूँ
फतह पाकर शिकस्त खायी है।"---
"दिल की बर्बादियों पे नाज़ां हूँ
(-शकील बदायूनी)
शब्दार्थ: (1) नाज़ां = गर्वीला, (2) फतह = जीत, (3) शिकस्त =हार
The poet says that he is proud of the fact that his
heart has been ravaged badly in the process of such a love that is the the essence of
life. He further elucidates that he has won the game of love because he has
lost himself in true sense for that. And in love, losing oneself is much
superior to anything else.
(posted by me on facebook on 09.09.2013)
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(posted by me on facebook on 09.09.2013)
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In today's destructive environment, thinking of constructive work is like :
" एक ज़ंग आलूदा
तोप के दहाने में
नन्ही-मुन्नी
चिड़िया ने
घोंसला बनाया है।"
(-मुहम्मद अलवी)
शब्दार्थ: (1) जंग आलूदा = जंग लगी, (2) दहाने में = मुँह में
facebook post (hemant.das.585) dt. 05.09.2013
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"गुलशन परस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़
कांटो से ही निबाह किये जा रहा हूँ मैं। "
(-एक प्रसिद्द शायर)
शब्दार्थ: (1) गुलशन = बागीचा (2) गुल = फूल', (3) अज़ीज़ =प्रिय
The poet says though he is lover of garden, no flower is up to the mark in his eyes. So, he has to sustain on the friendship of thornes only.
facebook posting date 11.09.2013
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