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Tuesday 23 September 2014

हजार बार जमाना इधर से गुजरा है ( Hajar bar jamana idhar se gujra hai )


14.09.2014


Your life is short, make it eventful :

"शमा हूँ आखरी रात की, सुन कहानी मेरी 

फिर सुबह होने तक का किस्सा ही तो सबकुछ है"


(-simplified version of sher by मीर तक़ी 'मीर')

The original sher is as follows:

"शम्मे-अख़ीरे-शब हूँ सुन सरगुज़िस्त मेरी 

फिर सुब्ह होने तक तो क़िस्सा ही मुख़्तसर है"

(-मीर तक़ी 'मीर')

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20.08.2014

Your conscience follows you like your foot-prints :

"रखियो कदम सम्भाल के तू जानता नहीं 
 
पद-चिन्हों की भाँति ये सरे-राह कौन है"

(-simplified form of sher by 'मीर)

The original sher is as follows:

"रखियो कदम सम्भाल के तू जानता नहीं 
 
मनिन्दे- नक़्शे-पा ये सरे-राह कौन है"

(-'मीर)
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17.07.2014 

Good people return virtue for vice :

"काँटे को जिसने मोती की लड़ी कर दिखलाया 

 
इस बियावान में वो फफोला-पाँव मैं ही हूँ"

(-simplified 'form of sher by मीर)

 

The original 'sher' is as follows :

 
"खार को जिनने लड़ी मोती की कर दिखलाया 

 
इस बयाबान में वो आबला पा मैं ही हूँ"

 
(-मीर)


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17.07.2014


"जो शाख लचकती है कड़कती-सी कमाँ है 
 
जो चीज चमक जाती है इक नोके-सिनाँ है

एक-एक किरन तारों की नागन की ज़बाँ है 

हर लहज़ा यही खौफ कि अबके न बचेंगे 
 
                  हम ज़िंदा थे, हम ज़िंदा हैं, हम ज़िंदा रहेंगे।"

(-'फ़िराक़' गोरखपुरी)

शब्दार्थ: (१) नोके-सिनाँ = भाले की नोक

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17.07.2014

 Will is supreme :

"वो काँटा-सा हैं गुलाब की शाखा का मानो 

 
मैं ज़ख्म-ज़ख्म हूँ, फिर भी गले लगाऊँ उसे। 

(-simplified version of sher by अहमद फ़राज़)

 

The original sher is as follows :

 
"वो खार-खार हैं शाखे गुलाब की मानिन्द 

 
मैं ज़ख्म-ज़ख्म हूँ, फिर भी गले लगाऊँ उसे। 

 
(-अहमद फ़राज़)


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17.07.2014

Love is guaranteed by your resourcefulness and not by solicitation: 

"अहदे-वफ़ा है हुस्ने-यार 

क़ौल नहीं, कसम नहीं। 

कीमते-हुस्न दो जहाँ 

कोई बड़ी रकम नहीं।"

(-'फ़िराक' गोरखपुरी)

शब्दार्थ : (1) अहदे-वफ़ा = एकमात्र प्रेम, (2) क़ौल = वचन


The poet wants to say that people are influenced by 

resourcefulness of others and are ready to pay anything for 

that. Any sort of promises without resources are 

meaningless.

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Real love is always fresh :

हजार बार जमाना इधर से गुजरा है 

नयी-नयी-सी है कुछ तेरी रहगुजर फिर भी।"

(-'फ़िराक' गोरखपुरी)

शब्दार्थ : (1) रहगुजर – रास्ता


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You are charming till you carry mystique:

"तेरी सर्वप्रियता की एकमात्र वज़ह है रहस्यमयता 

कि उसको मानते ही कब हैं जिसको जान लेते हैं।"

(-simplified version of sher by फ़िराक गोरखपुरी)


The original sher is as follows : 

"तेरी मक़बूलियत की वज्हे-वाहिद है तेरी रम्ज़ीयत 

कि उसको मानते ही कब हैं जिसको जान लेते हैं।"

(-फ़िराक गोरखपुरी)

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Everyone can't receive :

"Saki ka sharab se bhara ghara hai

Paimana hi maikash tune ulta rakha hai."

(- on 'Astha' channel)


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Pragmatism in disaster :

"Doobte-doobte kashti ko uchhala de dun
Mai nahi koi to sahil pe utar jayega."
(-Ahmad Faraz)



फिर उसी उठान से तीर उठे कमाँ उठे ( Fir usi uthan se teer uthe kaman uthe )


Think any of your blow as coup de grace :

फिर उसी उठान से तीर उठे  कमाँ उठे
सब्र की ज़बाँ से शोर अलअमाँ उठे"

(-हफ़ीज़ जालन्धरी)

शब्दार्थ : (1) अलअमाँ = दया करो

Wednesday 17 September 2014

बस इब्तेदा ही इब्तेदा है ज़िंदगी-ए-इश्क़ में ( Bas ibteda hi ibteda hai zindgi-e-ishq me )

Be freshly disposed ever:

"बस आरम्भ ही आरम्भ है, इश्क़ की जिन्दगी में 

कि भूल भी सकी तेरी निगाहें पहलापन कहीं"

(-simplified form of sher by फ़िराक़ गोरखपुरी)

The original sher is as follows:

"बस इब्तेदा ही इब्तेदा है ज़िंदगी-ए-इश्क़ में 

कि भूल भी सकी तेरी निगाहें-अव्वलीं कहीं"

(-फ़िराक़ गोरखपुरी)

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Monday 14 July 2014

गिरते -गिरते दामन उनका थाम ले .. ( Girte girte daman unka thaam le )



Heart is something more than part of your body :



"और जाम टूटेंगे इस शराबखाने में

मौसमों के आने में, मौसमों के जाने में। 



 हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं

उम्रें बीत जाती है, दिल को दिल बनाने में।"



(- बशीर 'बद्र")

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14.06.2014

There is nothing called immaculate :

"ज़िंदगी हम तेरे दागों से रहे शर्मिंदा
और तू है कि सदा आईना-खाने माँगें।"

(-अहमद फ़राज़)

शब्दार्थ : (1) आईना-खाने = आईनों का घर

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15.05.2014

Doers never look at difficulties :

"करें क्या कि दिल भी तो मजबूर है 
 
ज़मीं सख्त है, आसमाँ दूर है।


तमन्ना-ए-दिल के लिए जान दी 


 
सलीका हमारा तो मशहूर है। "



(-'मीर')


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 10.05.2014

If you want to maintain your love, keep weeping day and night :

संगीत प्रेम का  छिड़ा था आंसुओं के तार पर
मुस्कुराये हम तो उनको बदगुमानी हो गयी।"
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Original sher is as follows:
"साज़े-उल्फ़त छिड़ रहा था आंसुओं के तार पर
मुस्कुराये हम तो उनको बदगुमानी हो गयी।"
(-शकील बदायूनी)

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27.04.2014

"ज़िंदगी नासाज़ है या ठीक है 
 
आपकी मस्त अंखड़ियों की भीक है। 
 
कौन कौसर तक मुफासत तय करे 
 
मयकदा फ़िर्दौस से नजदीक है।"

(-'अदम')

शब्दार्थ: (1) नासाज़ = बीमार, (2) कौसर = स्वर्ग में शराब की नदी, (3) मुफ़सात = 
फासला, (4) फ़िर्दौस = स्वर्ग
 
Don’t sacrifice present for the future:
"ज़िंदगी बीमार है या ठीक है 
आपकी मस्त अंखड़ियों की भीख है।
कौन स्वर्ग तक फासला तय करे 
मधुशाला स्वर्ग से नजदीक है।"
(-'अदम' के शेर का सरलीकृत रूप)

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20.04.2014

Leaders are like infatuating nymphs :

"तमाम शहर के मक़तल उसी के हाथों में 
 
तमाम शहर उसी को दुआएं देता है।"

(-अहमद फ़राज़)

शब्दार्थ : (१) मक़तल = वध-स्थल, हत्या करने की जगह

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18.04.2014


The moment they get chair, they will laugh at your 

foolishness that you have chosen them:


"जिसके चेहरे पे मेरी आँखें हैं 


वो मुझे ताना कम-निगाही दे।  



तेरी दोस्ती की शालीनता है गज़ब 


जानेवालों को रास्ता ही दे। 



Original sher is as follows:



जिसके चेहरे पे मेरी आँखें हैं 


वो मुझे ताने-कम-निगाही दे।  


यह भी एक शेवा-ए-रफ़ाक़त है 


जानेवालों को रास्ता ही दे।"

(-अहमद फ़राज़)


शब्दार्थ: (1) ताने-कम-निगाही = कम दिखने का ताना, (2)


शेवा-ए-रफ़ाक़त = दोस्ती का ढंग 

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18.04.2014 


Give your 100% to your pursuit or just forget it :


''Thodi babut muhabbat se kaam nahi chalta ai dost

 
Ye wo mamla hai jisme ya sabkuch ya kuch bhi nahi.''

 
(-Firaq)


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Experimentalism persists till you find someone worthy to rely

 upon :

"चलता हूँ थोड़ी दूर हर एक तेज रौ के साथ 

 
पहचानता नहीं हूँ अभी राहबर को मैं।"



(-मिर्ज़ा ग़ालिब)

 
शब्दार्थ: (1) तेज रौ = तेज चलनेवाला चेहरा, (2) राहबर = पथ-प्रदर्शक



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 You can do a lot even while you are falling :
 

"गिरते -गिरते दामन उनका थाम ले 

 
गिरनेवाले लग्जिशों से काम ले।"

(-मैकश हैदराबादी)

 
शब्दार्थ: (1) लग्जिश = फिसलन