There is no fix rule to life. Any one among sanity, insanity,
hope or gloom may work for you depending upon the
circumstances :
"दीवानगी हो, अक़्ल हो, उम्मीद हो कि यास
अपना वही है वक़्त पे जो काम आ गया।"
(-जिगर मुरादाबादी)
शब्दार्थ : (1) यास = निराशा
==================================
People in power are often blamed for such matters which
may not have any connection with them just like a lover is
blamed for beloved’s drowsy eyes :
"आँख उनकी अलील होती है
लोग मुझ से सवाल करते हैं।"
(-'अदम ')
शब्दार्थ: (1) अलील = बीमार
==========================================
Promises of leaders are like lover's sight. If one succeeds in it's purpose, other is bound to be destroyed:
"वो नज़र कामयाब होती रही
दिल की बस्ती खराब होती रही।"
===========================================
Will any protagonist address to the problems of the hoi polloi in real sense :
"यह जानता हूँ, जानते हो मेरा हाले-दिल
यह देखता हूँ, देखते हो किस निगाह से।"
(-जिगर मुरादाबादी)
===========================================
Your foe will also get perished with you in his nefarious
design:
"आंधी में सिर्फ हम ही उखाड़कर नहीं गिरे
हमसे जुड़ा हुआ था कोई एक नाम और।"
(-दुष्यन्त कुमार)
===============================
"मुझे तो इस खबर ने खो दिया है
सुना है मैं कहीं पाया गया हूँ।
जहाँ कतरे को तरसाया गया हूँ
वहीँ डूबा हुआ पाया गया हूँ।"
(-हफ़ीज़ जालन्धरी)
fb site:https://www.facebook.com/
====================================
This is essentially a self-centric world.
Howsoever poignant your story of life may be, the value of it
for others is nothing more than the title of their own
life-story.
"कहने आये थे महफ़िल में इक दास्ताँ
बन के उनवाने-हर-दास्ताँ चल दिए।"
(-शकील बदायूंनी)
शब्दार्थ: उनवाने-हर-दास्ताँ = हर कहानी का शीर्षक
hope or gloom may work for you depending upon the
circumstances :
"दीवानगी हो, अक़्ल हो, उम्मीद हो कि यास
अपना वही है वक़्त पे जो काम आ गया।"
(-जिगर मुरादाबादी)
शब्दार्थ : (1) यास = निराशा
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People in power are often blamed for such matters which
may not have any connection with them just like a lover is
blamed for beloved’s drowsy eyes :
"आँख उनकी अलील होती है
लोग मुझ से सवाल करते हैं।"
(-'अदम ')
शब्दार्थ: (1) अलील = बीमार
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Promises of leaders are like lover's sight. If one succeeds in it's purpose, other is bound to be destroyed:
"वो नज़र कामयाब होती रही
दिल की बस्ती खराब होती रही।"
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Will any protagonist address to the problems of the hoi polloi in real sense :
"यह जानता हूँ, जानते हो मेरा हाले-दिल
यह देखता हूँ, देखते हो किस निगाह से।"
(-जिगर मुरादाबादी)
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Your foe will also get perished with you in his nefarious
design:
"आंधी में सिर्फ हम ही उखाड़कर नहीं गिरे
हमसे जुड़ा हुआ था कोई एक नाम और।"
(-दुष्यन्त कुमार)
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"मुझे तो इस खबर ने खो दिया है
सुना है मैं कहीं पाया गया हूँ।
जहाँ कतरे को तरसाया गया हूँ
वहीँ डूबा हुआ पाया गया हूँ।"
(-हफ़ीज़ जालन्धरी)
fb site:https://www.facebook.com/
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This is essentially a self-centric world.
Howsoever poignant your story of life may be, the value of it
for others is nothing more than the title of their own
life-story.
"कहने आये थे महफ़िल में इक दास्ताँ
बन के उनवाने-हर-दास्ताँ चल दिए।"
(-शकील बदायूंनी)
शब्दार्थ: उनवाने-हर-दास्ताँ = हर कहानी का शीर्षक