दीवाना बनाना है तो दीवाना बना दे
डर है कहीं तक़दीर तमाशा न बना दे।
मैं ढूंढ रहा हूँ वह मेरी शमा किधर है
जो बज़्म की हर चीज को परवाना बना दे।
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(-'बहजाद' लखनवी)
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"पत्थर के जिगर वालों गम में वो रवानी है
खुद राह बना लगा बहता हुआ पानी है।
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(-बशीर बद्र)
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Either get your worth or get perished in efforts :
"मकाम 'फैज़' कोई राह में जँचा ही नहीं
जो कू-ए -यार से निकले तो सू-ए -दार चले।"
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(-'फैज़')
शब्दार्थ : (1) मकाम = मंज़िल, (2) कू-ए -यार = प्रेमिका की गली, (3) सू-ए -दार = सूली (फाँसी)